युद्ध राजा या सेनापति नहीं वरन सैनिक लड़ते हैं।
Written by डॉ कांतेश खेतानी, 2020-08-15
आज की चर्चा©️✍🏼
दिनांक:-21.07.2020
द्वारा:-डॉ कांतेश खेतानी
युद्ध राजा या सेनापति नहीं वरन सैनिक लड़ते हैं।
कोई भी जंग रातो रात नहीं जीती जाती। परिपक्व योजना बनाने में समय लगता है और यदि शत्रु ताक़तवर हो, तो अंजाम तक पहुंचने में भी समय लगता है।
जंग को जीतने में एक बुलन्द सेना की आवश्यकता सदा ही होती है। मात्र एक पराक्रमी राजा या आक्रामक सेनापति या बुद्धिमान महामंत्री अकेले अपने दम पर कोई युद्ध नहीं जीत सकते। उन्हें आवश्यता होती है लड़ने को इच्छुक, निर्भीक, स्वार्थहीन सैनिकों।
इसके अलावा हर युद्ध बलिदान मांगता है। जिस युद्ध की योजना बनाते वक्त, बलिदान की परिकल्पना करते समय, सैनिक अपनी रियासत की चिंता न कर स्वयं अपने व्यक्तिगत लाभ-हानि का हिसाब करने लगें, उस युद्ध को लड़ने का मनोबल सेना में कैसे सृजित हो पायेगा और कैसे वह युद्ध ही जीता जाएगा?
युद्ध लड़ने से पहले, युद्ध को जीतने की सोच अपने रगों में उतारनी होती है। साथ ही हर सम्भव बलिदान देने के लिए तत्पर होना होता है।
जो लोग यह सोचते हैं कि वे तो घर के आराम का आनंद लें, और उनकी जगह चन्द 'जज्बाती दीवाने' संघर्ष करते रहे, वे अपनी पूरी बिरादरी की शक्ति को क्षीण करने वाले होते हैं।
जय श्री विठ्ठल।