क्या आज हम ये संकल्प ले सकते हैं ?
Written by Dr Raj Shekhar Yadav, 2022-01-02
पूरी दुनियाँ की बात करें तो एक दिन में लाखों फ़्लाइट्स संचालित होती हैं ,करोड़ों यात्री विमान यात्रा करते हैं ।लेकिन यदा कदा ही कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है ।जब भी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उस दुर्घटना के कारणों की गहनता से जाँच की जाती है ।ख़राब मौसम , विमान में तकनीकी ख़राबी ,मानवीय भूल या sabotage इत्यादि कोई कारण अंततः पता चलता हैं।फ़्लाइट्स का संचालन एक बेहद जटिल प्रक्रिया है जिसमें ग्राउंड स्टाफ़,एटीसी व सुरक्षा कर्मियों से लेकर विमान के क्रू सहित सैकड़ों प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित व्यक्तियों का योगदान होता है।किसी भी स्तर पर ज़रा सी चूक एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है ।विज्ञान और तकनीक ने आधुनिक विमान यात्राओं को बेहद सुरक्षित बना दिया है।
कोझिकोड में हुए विमान हादसे के कारणों में एक कारण था विमान के पाइलट का लैंडिंग का ग़लत निर्णय ।विमान के को पाइलट ने गो अराउंड के लिए कहा था लेकिन वो अपने से वरिष्ठ पाइलट के लैंडिंग के निर्णय को रोक़ नहीं सके।विमान के पाइलट ने अपने कोपाइलट की बात मान ली होती तो ये हादसा टल सकता था ।
अस्पतालों में मरीज़ों का इलाज भी कुछ ऐसी ही जटिल प्रक्रिया है जिसमें बहुत से प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित व्यक्तियों ,विज्ञान एवं तकनीक का योगदान होता है ।एक दिन में केवल भारत में ही लाखों ऑपरेशन होते हैं लेकिन दुर्घटना बहुत कम केसेज़ में होती है ।हर दुर्घटना के बाद हम कुछ नया सीखते हैं और दोबारा न हो ये सुनिश्चित भी करते हैं ।बहुत बार ऑपरेशन के दौरान दो चिकित्सकों की राय भी पाइलट्स की तरह भिन्न हो सकती है ।कई बार किसी मशीन या उपकरण की ख़राबी के कारण भी दुर्घटना हो सकती है ।मरीज़ों में इस्तेमाल की जाने वाली दवा का व्यवहार भी दो मरीज़ों में अलग अलग हो सकता है ,एक ही दवा लाखों मरीजों की जान बचाती है तो हज़ारों में से किसी एक की जान ले भी लेती है ।एक ही बीमारी का प्रभाव दो स्वस्थ व्यक्तियों में भिन्न भिन्न भी हो सकता है ।कोई तो सामान्य से इलाज से ठीक हो जाता है तो कोई सर्व श्रेष्ठ अस्पताल में अनुभवी चिकित्सकों से इलाज के बावजूद नहीं बच पाता।
विमान दुर्घटना हो या अस्पताल में इलाज के दौरान हुई दुर्घटना, किसी भी दुर्घटना का रेट्रोस्पेक्टिव अनालिसिस और उस पर टिप्पणी करना इस ब्रह्मांड का सबसे आसान कार्य है ।लेकिन एक पाइलट या चिकित्सक ही जानता है कि उसने किसी ख़ास परिस्थिति में कोई ख़ास निर्णय क्यों लिया ।कोझिकोड़ में लैंडिंग सफल हो जाती तो पाइलट के कौशल की सराहना होती ,दुर्घटना हुई तो विशेषज्ञों ने उनके निर्णय में दोष निकाला।अब विमान को उड़ाते समय और मरीज का इलाज करते समय आपातकालीन परिस्थिति में तात्कालिक निर्णय तो पाइलट्स और चिकित्सकों को ही लेने होते हैं ।
अभी हमारा पछत्तर वर्षीय युवा लोकतंत्र (सौभाग्यवश) ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बना पाया है क़ि यदि दोनो पाइलट्स की राय भिन्न हो तो सुप्रीम कोर्ट के मी लॉर्ड अंतिम फ़ैसला करें क्योंकि अभी तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि ऐसे मामलों में जब तक मी लॉर्ड्ज़ का फ़ैसला आएगा तब तक विमान का इंधन ख़त्म हो चुका होगा और वो न्याय की प्रतीक्षा करते करते भरभराकर खुद ही गिर चुका होगा ।
नव वर्ष 2022 की असीम शुभकामनाएँ ।आइए आज हम प्रण लें कि वर्ष 2022के समाप्त होने से पहले हम इस प्रफ़ेशन को उपभोक्ता संरक्षण क़ानून के चंगुल से निकाल लेंगे ।